हैरतों के सिलसिले सोज़-ए-निहाँ तक आ गए
हम नज़र तक चाहते थे तुम तो जाँ तक आ गए
ना-मुरादी अपनी किस्मत गुमरही अपना नसीब
कारवाँ की खैर हो हम कारवाँ तक आ गए
उन की पलकों पर सितारे अपने होंटों पे हँसी
किस्सा-ए-गम कहते कहते हम कहाँ तक आ गए
रफ्ता-रफ्ता रंग लाया जज्बा-ए-खामोश-ए-इश्क
वो तगाफुल करते करते इम्तिहाँ तक आ गए
खुद तुम्हें चाक-ए-गिरेबाँ का शुऊर आ जाएगा
तुम वहाँ तक आ तो जाओ हम जहाँ तक आ गए
आज ‘काबिल’ मय-कदे में इंकिलाब आने को है
अहल-ए-दिल अंदेशा-ए-सूद-ओ-जियाँ तक आ गए
आश्चर्या च्या धक्क्यान चे रूपान्तर दाट दुखात होंऊ लागलेहम नज़र तक चाहते थे तुम तो जाँ तक आ गए
ना-मुरादी अपनी किस्मत गुमरही अपना नसीब
कारवाँ की खैर हो हम कारवाँ तक आ गए
उन की पलकों पर सितारे अपने होंटों पे हँसी
किस्सा-ए-गम कहते कहते हम कहाँ तक आ गए
रफ्ता-रफ्ता रंग लाया जज्बा-ए-खामोश-ए-इश्क
वो तगाफुल करते करते इम्तिहाँ तक आ गए
खुद तुम्हें चाक-ए-गिरेबाँ का शुऊर आ जाएगा
तुम वहाँ तक आ तो जाओ हम जहाँ तक आ गए
आज ‘काबिल’ मय-कदे में इंकिलाब आने को है
अहल-ए-दिल अंदेशा-ए-सूद-ओ-जियाँ तक आ गए
आम्ही ह्रुदयापर्यंत चाहत होतों तू तर प्राणापयन्त येउन पोहोचालिस!
अतृप्त इछाच आपल्या नशीबात आहेत
माजे भाग्य हरवले आहे आयुष्याच्या वाटेवर!
यात्रेकरुंच्या जथा सुखरूप असुदे ;आम्ही तिथेपर्यन्त तरी पोहोचलो
सर्व सामान्या प्रमाणे आमचे (आयुष्य) झाले तरी पुश्कळ!
तिच्या पापण्यात तारे (आसू) तर आमच्या डोळ्यात हसू
तिला आमच्या दुखांचे किस्से सांगत ;आम्ही येथेवर तरी येउन पोहोचलो!
वियोगामु ळे रंग भरला प्रणयाच्या मुग्ध भावनाना
त्याकड़े दुर्लक्ष करता करता इम्तिहान (परीक्षा ) पर्यन्त येउन पोहोचलो!
तूला स्वतालाच बंधने ज़ुगारून टाकावित असे वाटेल
तू तिथेपर्यन्त पोहोचालिस तर आम्ही एथेपर्यन्त (दुसरीकडे )येउन पोहोचलो!
आज काबिलला मयखान्यात मुक्ति मिळणार आहें
खुप प्रेम करणारे शेवटी जमाखर्च मांडण्यापर्यन्त येउन पोहोचले! (व्यावहारिक पातळी पर्यंत आले)!
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