आए कुछ अब्र कुछ शराब आए
उस के बाद आए जो अज़ाब आए
बाम-ए-मीना से माहताब उतरे
दस्त-ए-साक़ी में आफ़ताब आए
हर रग-ए-ख़ूँ में फिर चराग़ाँ हो
सामने फिर वो बेनक़ाब आए
उम्र के हर वरक़ पे दिल को नज़र
तेरी मेहेर-ओ-वफ़ा के बाब आए
कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब
आज तुम याद बेहिसाब आए
न गई तेरे ग़म की सरदारी
दिल में यूँ रोज़ इन्क़लाब आए
जल उठे बज़्म-ए-ग़ैर के दर-ओ-बाम
जब भी हम ख़ानाख़राब आए
इस तरह अपनी ख़ामोशी गूँजी
गोया हर सिम्त से जवाब आए
'फ़ैज़' थी राह सर बसर मंज़िल
हम जहाँ पहुँचे कामयाब आए
काही ढग आले (संशय ) ,त्यानंतर मदिरा आली (नशा )
उस के बाद आए जो अज़ाब आए
बाम-ए-मीना से माहताब उतरे
दस्त-ए-साक़ी में आफ़ताब आए
हर रग-ए-ख़ूँ में फिर चराग़ाँ हो
सामने फिर वो बेनक़ाब आए
उम्र के हर वरक़ पे दिल को नज़र
तेरी मेहेर-ओ-वफ़ा के बाब आए
कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब
आज तुम याद बेहिसाब आए
न गई तेरे ग़म की सरदारी
दिल में यूँ रोज़ इन्क़लाब आए
जल उठे बज़्म-ए-ग़ैर के दर-ओ-बाम
जब भी हम ख़ानाख़राब आए
इस तरह अपनी ख़ामोशी गूँजी
गोया हर सिम्त से जवाब आए
'फ़ैज़' थी राह सर बसर मंज़िल
हम जहाँ पहुँचे कामयाब आए
काही ढग आले (संशय ) ,त्यानंतर मदिरा आली (नशा )
त्या नंतर जे आले ते दुर्भाग्य आलें !
स्वर्गाच्या गच्चीतून चंद्रकिरण अवतरले
माझ्या पेल्यामधुन सूर्यप्रकाश उगवला !
माझ्या नसनसा मधून गरम रक्त सळसळले
जेव्हा ती माझ्या समोर आली !
दुखांचा हिशोब मांडत असताना
तिची आठवण अगणित वेळा आली !
तिच्या दुखाची गहनता (थोडीसुद्धा ) कमी नाही झाली
जरी हृदयात अगणित वेळा क्रांतीचे विचार आले !
अशा प्रकारे माझ्या उदासीचे पडसाद उमटले
आणि सर्व दिशातून त्याची प्रतिबिंबे आली !
फैज ने आपल्या ध्येयावर लक्ष केंदित केले
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